
इस गोंद का ज्यादा सेवन करने से कुछ लोगों में श्वसन सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो सकती है।
बबूल गोंद के इस्तेमाल से पेट संबंधी विकारों से छुटकारा पाया जा सकता है। दही में बबूल गोंद को मिलाकर इसका सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं से जल्द राहत मिलती है। इस मिश्रण में फाइबर एवं बिफिदोबैक्टीरियम लैक्टिस के गुण पाए जाते हैं जो हमें कब्ज, अपच, एसिडिटी, पेट फूलने एवं पेट दर्द जैसी समस्याओं से बचा सकते हैं। इसके सेवन से हमें मल त्यागने में आसानी होती है।
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बबूल के पत्ते से चूर्ण बना लें। इसे सिफलिश वाले घाव पर छिड़कें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
बबूल के पत्ते से चूर्ण बना लें। इसे सिफलिश वाले घाव पर छिड़कें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
दस्त को बंद करने के लिए बबूल के पत्तों से बने पेस्ट को जल में घोलकर पिएं। इससे फायदा होता है।
बबूल की छाल को नियमित रूप से चबाने से मसूड़ों से get more info खून आना बंद हो जाता है।
फोड़े, फोड़ों का फट जाना : बबूल के पत्तों का लेप उपयोगी है।
बबूल के अधिक सेवन से स्तन से संबंधित रोग होता है। अधिक मात्रा में इसके निर्यास का प्रयोग करने से गुदा रोग होता है।
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शीघ्रपतन की समस्या / babul Gains for Difficulty of untimely ejaculation
अगर आपका पूरा शरीर दर्द कर रहा है। तो बदन दर्द से राहत पाने के लिए बबूल की छाल और गोंद को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। दिन में तीन बार एक-एक चम्मच सेवन करने से बदन दर्द से राहत मिलती है।
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आंखों से पानी बहने पर बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाएं। इसमें शहद मिलाकर काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों से पानी बहने की परेशानी ठीक होती है।